Rabindranath Tagore Jayanti 2020
दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीकों में से एक, रबींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता के जोरसंको हवेली में हुआ था। गुरुदेव के नाम से मशहूर टैगोर बचपन से कविताएं और कहानियां लिखा करते थे। उनकी काव्यरचना गीतांजलि के लिये उन्हें सन् 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला।
रवींद्रनाथ टैगोर सिर्फ एक कवि ही नहीं बल्कि संगीतकार, चित्रकार और लेखक भी थे। हमारे देश का राष्ट्रगान 'जन गण मन' को रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था। रवींद्रनाथ टैगोर एक ऐसे अकेले कवि हैं, जिनकी दो रचनाएं दो देशों की राष्ट्रगान बनीं। बांग्लादेश का राष्ट्रीयगान 'आमार सोनार बांग्ला' के भी रचियता रवींद्रनाथ टैगोर ही हैं।
दुनिया को एक पॉलिमथ (बहुज्ञ) के रूप में, टैगोर पहले एशियाई नोबेल पुरस्कार विजेता और 1913 में साहित्य के लिए पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय बने।
बंगाली कैलेंडर के अनुसार , यह टैगोर का जन्मदिन मनाने का एक पुराना रिवाज रहा है। लेखक, कवि, चित्रकार और नाटककार ने अपने काम से बंगाली कैनन में बहुत योगदान दिया जो आज भी प्रासंगिक है। 7 अगस्त, 1941 को टैगोर का निधन हो गया।
टैगोर, जो दो राष्ट्रों - भारत और बांग्लादेश - के राष्ट्रीय गानों की रचना करने का अनूठा गौरव रखते हैं, को विश्व के कई देशों में याद किया जाता है।
उनकी 159 वीं जयंती पर, यहां उनके कुछ प्रेरक उद्धरण हैं जो उस प्रतिभा का जश्न मनाते हैं जो वही थी।
''यदि मैं एक दरवाजे से नहीं जा
पाता, तो दूसरे दरवाजे से जाऊँगा या नया दरवाजा बनाऊंगा| क्योकि वर्तमान चाहे कितना भी अंधकार में हो, कुछ तो शानदार सामने आएगा ही|''
''अगर आप अपनी गलतियों के दरवाजे बंद कर लेगे, तो खुद ब खुद आप बाहर रह जाएगे|"
"वे लोग जो अच्छा करने में बहुत ज्यादा व्यस्त रहते है, वो स्वयं अच्छा बनने के लिये समय ही नहीं निकाल पाते| "
"बर्तन में रखा पानी चमकदार होता है, और समुन्द्र का पानी गहरा होता है| अथार्त लधु सत्य स्पष्ट होता है, जबकि महान सत्य मौन रहता है|"
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